मंगलवार, 4 मई 2021

लीडरशिप और मैनेजमेंट

दो योग्यताएं विकसित करना बहुत अनिवार्य है।एक लीडरशिप की योग्यता और दूसरी मैनेजमेंट की योग्यता।ये दोनों कलाएं एक-दूसरे से भिन्न होते हुए भी हमेशा एक-दूसरे के पूरक हैं।इनमें अंतर समझना बहुत जरूरी है।नेतृत्व के मायने सही काम करने से है और प्रबंधन से तात्पर्य है सही से काम करना।दरअसल जब तक सही काम का निश्चय नहीं होगा, तब तक सही से काम करना केवल ऊर्जा की बर्बादी के अलावा और कुछ भी नहीं है।

लीडरशिप करुणा से भरपूर होनी चाहिए।तभी सृजन श्रेष्ठ होगा।विनम्रता और वात्सल्यता लीडरशिप की शक्ति भी है और पहचान भी।लीडर किस भी विकट समस्या में क्यों न हो उसे अपनी टीम के प्रति नकारात्मक  रवैया निर्मित नहीं करना चाहिए।यदि नाविक ही पतवार खेने की अपनी जिम्मेदारी से बचने की कोशिश करेगा तो फिर नाव पर सवार लोगों का भविष्य खतरे में पड़ने से कौन रोक सकेगा? लीडर डर दिखाकर नहीं बल्कि प्यार लुटा कर ही टीम में सबको जोड़े रख सकता है।टीम का हर सदस्य उसके परिवार का सदस्य है। परिवार के किसी भी सदस्य पर आई विपत्ति से भला  वह मुंह कैसे मोड़ सकता है?उसका दर्द उसे अपना ही लगेगा।कोशिश करेगा कि कैसे इस दर्द से उसे बाहर निकाला जाए।
अफ़सोस है कि अधिकांश लोग आज वात्सल्यता की जगह मैनेजमेंट वाले गुण अर्थात् दूसरों पर नियंत्रण में अधिक अपनी ऊर्जा खपत कर रहे हैं।आज बड़ी से बड़ी लीडरशिप को आपा खोते हुए बहुत आसानी से देखा जा सकता है।लेकिन लीक से हटकर सोचने की योग्यता ही अच्छे लीडर पैदा करती है।जब भी सिस्टम पर कॉपी पेस्ट की स्क्रिप्टिड सोच वाले बैठे होंगे तो नतीजे भी स्क्रिप्ट जैसी ही मिलेंगे।कईबार बड़ी-बड़ी इमारतों के बनाने में मस्त और व्यस्त रहने वाले लोग इतने बेफिक्र नजर आते हैं कि नींव की परवाह ही नहीं करते हैं।जबकि हर इमारत की उम्र का रहस्य उसकी नींव में छिपा रहता है।बहुत बार लंबे समय से बीज बोए बिना फसल काटने के कारण शायद हम भूल ही चुके हैं कि बोना भी जरूरी है।
इमर्सन ने कहा था था-कि आप क्या हैं इसकी आवाज आवाज मेरे कानों इतनी तेजी से सुनाई देती है कि आप क्या कहते हैं मुझे सुनाई ही नहीं देता है।शब्दों और व्यवहार की अपेक्षा चरित्र की उच्चता को पैरेडाइम कहते हैं।दिल और दिमाग की सहभागिता जब चरित्र से प्रवाहित होती है तो भले ही कोई इंसान संवाद में कुशल और मानवीय सम्बन्धों की तकनीकी को न समझता हो लेकिन उसकी विश्वसनीयता में जीवन के सभी मूल्य प्रतिभासित होते हैं।क्योंकि चरित्र की आवाज ऊंचे स्वर में होती है।
-डॉ.कमलाकान्त बहुगुणा



 
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