सोमवार, 10 मई 2021

किसान आंदोलन और बलात्कार




कृषि कानून विरोधी आंदोलन में युवती के साथ सामूहिक दुष्कर्म की खबर सुनकर बहुत से लोग हैरान होंगे, लेकिन जिन्हें भी इस आंदोलन की असलियत पता है ,वे बिल्कुल भी हैरान नहीं होंगे।यहाँ जितनी जमात जमा है, सबके सब प्रायोजित एजेंडा को सफल बनाने में दिन-रात लगे हुए हैं ।सबका एक ही मकसद है सत्ता से मोदी को हटाना । उसके लिए वे किसी भी हद तक जाने के लिए तत्पतर नजर आरहे हैं। मोदी के विरोध में अब ये खालिस्तानी बहु-बेटियों की आबरू का भी सौदा करने लगे हैं।दंडित करने के साथ धिक्कारना जरूरी है इनको इस निंदनीय कृत्य के लिए।

राकेश टिकैत सरीखे लोग किसान नेता कम और सत्ता के दलाल ज्यादा हैं,इनक लिए यह किसानआंदोलन अपनी छवि चमकाने के लिए सुनहरा अवसर है। इस अवसर को हथियाने के लिए ये आन्दोलनजीवी हर हथकंडा अपनाने को तैयार हैं ।हैरानगी तब और हो जाती है जब जाट समुदाय के बहुत से लोगों  को भी टिकैत में अपना मसीहा नजर आरहा है।जाति के कारण जिन्हें टिकैत के प्रति सहानुभूति है वे भी कम जिम्मेदार नहीं है, इस दुष्कृत्य के लिए।इनका मौन इनके लिए सहमति ही है।जैसे इन्होंने गणतंत्र पर्व से अपना पल्ला झाड़ दिया था।ठीक, इस बार भी वैसी रणनीति को यहाँ भी दोहरा रहे हैं। 

दिल्ली और हरियाणा को जोड़ने वाले टिकरी बॉर्डर पर चल रहे कृषिसुधार कानून के विरोध में आंदोलन में शामिल हुई बंगाल की युवती की मौत हुई है।अब पता चला है कि कई लोगों ने आंदोलन की जगह पर बने टेंट में उसके साथ दुष्कर्म किया था ।वह 12 अप्रैल को टिकरी बॉर्डर पर धरना देने में शामिल होने आई थी।युवती के पिता की शिकायत पर बहादुरगढ़ सिटी थाने की पुलिस ने 6 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। जिनमें दो महिलाएं भी है।जिन पर दुष्कर्म का आरोप है वे स्वयं को किसान सोशल आर्मी के नेता बताते हैं ।एफआईआर में सामूहिक दुष्कर्म के अलावा अपहरण ,ब्लैक मेलिंग,बंधक बनाने,और धमकी देने की धाराएं दर्ज की की गई है।

अब भी अगर कुछ लोग इन आंदोलन जीवियों का समर्थन कर रहे हैं तो समझो ये वे लोग हैं,जिनकी आत्मा मर चुकी है।बलात्कार में किसान आंदोलन के बड़े नेता कम जिम्मेदार नहीं है।अब कहाँ मर गए वो पट्टलकार,अरविन्द केजरीवाल सरीखे राजनेता ,जो आंदोलनजीवियों का पक्ष ले रहे थे। कहाँ  है  अब वे योगेंद्र यादव जैसे फ़सली किसान ..... 

-डॉ.कमलाकान्त बहुगुणा 



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