बुधवार, 5 मई 2021

धरना समाधान नहीं, नौटंकी है



जब शत्रु सारी मर्यादाएं लांघ जाए तो फिर युद्ध नैतिकता के साथ नहीं लड़ा जा सकता है।इतिहास  पृथ्वीराज जैसी मूर्खताओं को  कब तक स्मरण  करता रहेगा। भगवान श्रीकृष्ण ,आचार्य चाणक्य और वीर शिवाजी जैसी नीतियां ही ऐसे समय में अनुकरणीय होनी चाहिए।इस समय धरना-प्रदर्शन समाधान  नहीं हो सकता है। इन TMC के गुंडों को जमकर धरना पड़ेगा ,यही एक मात्र समाधान है। आपने उनका  नामक खाया है। धरने देने से नमक का कर्ज नहीं चुकता साहब ,उनकी रक्षा के लिए  लिये चाहे  अपने प्राणों की आहुति क्यों  देनी पड़े तो भी उनके साथ वहां खड़े होइए । धरने से आपकी कजरी जैसी नोटंकी लग रही है। माफ करना अगर बुरा लग रहा हो तो। पर सच तो कहना  भी पड़ेगा और आपको सुनना तथा सहन  भी करना होगा।
कार्यकर्ता के लिए प्रशंसा के बोल तभी तक मायने रखते हैं, जब तक वह अंतर्मन को आह्लादित करते हैं। लेकिन जब उनके प्राण संकट में हो तब प्रशंसा के बोल जहर जैसे चुभते हैं।काश !TMC के गुंडो द्वारा मारे जा रहे कार्यकर्ताओं को सुरक्षा दे पाते। गरीबों के घर तो  खाना खाने की फोटो BJP के बड़े-बड़े नेता खूब खिंचवा रहे थे लेकिन वह समय कब  आएगा जब ये बड़े-बड़े नेता उन गरीबों को अपने महल में खाना खिलाते हुए फोटो खिंचवाएँगे? क्या कभी ऐसे दिन आएंगे।बेचारे बंगाल के कार्यकर्ताओं की जान की सुध लेगा कोई?
TMCवालों ने तो खेला शुरू भी कर दिया है। 43 BJP आफिस को आग लगा दी गई।सौ BJP बूथ वर्कर के घर जला दिए गए ।BJP समर्थकों के बड़े बड़े शोरूम, कलकत्ता पुलिस के सहयोग से लूट लिए गए ।बहुत  से  लोग असम के लिए पलायन कर चुके हैं।सुवेन्दु अधिकारी  पर  हमला किया गया।देवदत्ता के घर को जला दिया गया।BJP के  कार्यकर्ताओं को मार दिया गया।तभी तो ममता दीदी कहती रही कि खेला खेलबो उसका यही तो खेला था ।कार्यकर्ताओं के मरने और  बलात्कार के बाद भी खून नहीं खोल रहा है मोदी और शाह का तो क्या अर्थ निकालें इससे? यदि यही सब  मोदी और शाह की बेटियों के साथ होता तो भी इसी तरह धरना देने की नौटंकी करते क्या?ऐसा लग रहा है कि साहब नोबेल पुरस्कार की दौड़ में शामिल होना चाहते हैं।
सच बात तो यह है कि BJP को अपने कार्यकर्ताओं की जान की परवाह कभी  नहीं रही है। सबको पता था चुनाव  के बाद TMC के गुंडे यही करेंगे। जब कार्यकर्ता ही मर जाएंगे तो फिर ऐसी पार्टी को सपोर्ट ही क्यों कोई करे ,जो हमारे जानमाल  की परवाह ही न कर सके, उस पार्टी को वोट क्यों दें?मोदी और शाह भगवान नहीं हैं।इन्हें चेतावनी देकर जगाना जरूरी है। 
जो पार्टी अपने कार्यकर्ताओं को मरने के लिए छोड़ दे उसे मौन होकर सहने से क्या लाभ। लोकसभा में प्रचंड बहुमत के बाद भी कुछ न कर सके तो फिर उसे फटकारना भी जरूरी है। मोदी और शाह को भी जबाब देना  होगा कि आखिर बंगाल के लोगों ने  अपनी जान हथेली पर रखकर आपके भरोसे ही वोट दिया था , लेकिन अब BJP वाले धरना-धरना खेल रहे हैं । धिक्कार है ऐसे छप्पन इंच की छाती वाले को।हमारा इतिहास गवाह है कि बलि बकरे की ही दी जाती है ,शेर की  कभी नहीं।इसलिए सिंह बनो सिंह। बकरी जैसे मिमियाते रहोगे तो बलि के बकरे  ही समझे जाओगे।
                                                                                                        -डॉ. कमलाकान्त बहुगुणा

3 टिप्‍पणियां:

सर्वा आशा मम मित्रं भवन्तु

स्मृति और कल्पना

  प्रायः अतीत की स्मृतियों में वृद्ध और भविष्य की कल्पनाओं में  युवा और  बालक खोए रहते हैं।वर्तमान ही वह महाकाल है जिसे स...