मंगलवार, 4 मई 2021

धारणा नहीं संभावना को तलाशें



बहुत सालों तक शिक्षण प्रोफेशन से जुड़ा रहा हूं।उस समय की एक घटना  का ज़िक्र करना जरूरी समझ रहा हूं।विद्यालय में एक डांस टीचर के साथ कुछ ऐसा घटित होता हैजो कभी भी किसी भी टीचर के साथ घटित नहीं होना चाहिए।एकदिन जब वह किसी कॉम्पटीशन के लिए बच्चों की तैयारी करा रहे थे तो विद्यालय के कुछ बच्चे खिड़कियों के पीछे छिपकर लड़कियों का डांस देख रहे थे।अब विद्यालय में अनुशासन बनाए रखना हर शिक्षक की जिम्मेदारी होती  है।यूं तो लड़कियों का डांस देखने में कुछ भी गलत नहीं है।क्योंकि वे आज डांस सीख रही हैं तो कल अपनी प्रस्तुति देंगी ही।लेकिन हर चीज का एक खास समय होता है और एक खास स्थान भी।इस तरह की समग्र अवस्था का सचेतन बोध कराता है मर्यादा शब्द ।मर्यादा को ही लक्ष्मण रेखा कहते हैं।यदि मर्यादा टूटेंगी तो उससे मिलने वाले परिणाम दर्द भरे घाव जरूर देंगे।

कई बार हम यथार्थ की बजाय वही देखते हैंजो हम देखना चाहते हैं।यही धारणा कहलाती है।जैसे ही डांसटीचर ने डांसरूम का गेट खोला तो वहां से तभी एक सीनियर क्लास का छात्र गुजर रहा था।वह डांस देखने वालों में शामिल था भी यह नहीं ,इसकी विवेचना किए बिना डांसटीचर ने उसे देखते ही कुछ पूछे बिना ही उसके कॉलर पकड़कर क्लासरूम के अंदर ले आए और लड़कियों के सामने ही उसे दो-चार थप्पड़ जड़ दिए।आकस्मिक पिटाई से व्यथित उस लड़के ने पूछा- सर मुझे क्यों पीटा है आपने?उसके प्रश्न करने पर डांसटीचर ने उसे दुबारा पीटना शुरू कर दिया।अब लड़कियों के सामने इस अकारण पिटाई से व्याकुल छात्र ने भी डांसटीचर के हाथ पकड़ लिए।इस पकड़म्पकड़ाई में डांसटीचर जमीन पर गिर जाते हैं।जैसे कुछ बड़े छात्रों को यह पता लगता है तो उनमें से कोई ए..ऑफिस से माइक से अनाउसमेंट कर देता है कि डांस सर की पिटाई हो गई है।पूरे विद्यालय में यह बात आग की तरह फैल गई।

विद्यालय की महिला प्रिंसीपल ने नियमों का हवाला देते हुए उन डांस टीचर से क्षमा याचना के लिए कहा।प्रिंसीपल भी नियम के अनुसार ही यह कह रही थी।अब उस छात्र के पैरेंट्स को स्कूल में बुलाया गया।उसके पिता ने स्कूलऑफिस में पंहुचते ही हंगामा खड़ा करना शुरू कर दिया।अपशब्दों के साथ ही टीचर को जेल भेजने की धमकी भी देने लगे।

नियम भी यही है।पिता के इस व्यवहार से उस छात्र का हौंसला भी बढने लगा।मेरे पिता की हैसियत के सामने स्कूल नाकाफ़ी है।डांसटीचर को न चाहते हुए भी समय की हकीकत को भांपते  हुए उन पैरेंट्स से अन्ततः क्षमा मांगनी ही पड़ी।बसअब कुछ सालों के बाद पिता को पछताते हुए देखा है हमने।अगर इस पूरे घटनाक्रम का सिल-सिलेबार विवेचना की जाए तो एक बात साफ समझ में आरही है कि कोई भी अपनी भूमिका से समाधान के हिस्से  नहीं बन पाए थे।सब के सब रेडीमेड  समाधान की स्क्रिप्ट लिए अपनी-अपनी भूमिका अनुसार डटे हुए थे।

डांसटीचर स्मृति में पड़े तरीकों द्वारा संचालित मानस से धारणा गढ़ कर ही सबक सिखाने वाली प्रवृत्ति के साथ बच्चे से उलझे थे।छात्र भी लड़कियों के सामने अपनी पिटाई से अपमान के अहसास से ही टीचर से उलझा था।प्रिंसीपल ने भी नेतृत्व वाले गुणों की बजाय प्रबंधन पर ज्यादा फोकस किया था।पिता भी उत्तेजना में आकर बालक को सर चढ़ा गया।और आज वह छात्र भी पछता रहा है और उसके मां-बाप भी।किसी ने भी अपने अनौखपन के साथ मानवीय गरिमा की संभावना पर फोकस नहीं किया था।आखिर करते भी कैसे?भय ने सबको जड़ जो कर दिया था।शिक्षा के केंद्र में चेतना का सर्वथा अभाव भविष्य निर्माण की प्रक्रिया में सबसे अधिक चुनौती है।।हर कोई अपनी जिम्मेदारी से बचकर दूसरे के अपराध के मूल्यांकन के समय स्वयं के लिए वकील जैसा रवैया और दूसरों के लिए जज बन कर खड़े हो जाते हैं।

दो योग्यताएं विकसित करना बहुत अनिवार्य है।एक लीडरशिप की योग्यता और दूसरी मैनेजमेंट की योग्यता।ये दोनों कलाएं एक-दूसरे से भिन्न होते हुए भी हमेशा एक-दूसरे के पूरक हैं।इनमें अंतर समझना बहुत जरूरी है।नेतृत्व के मायने सही काम करने से है और प्रबंधन से तात्पर्य है सही से काम करना।दरअसल जब तक सही काम का निश्चय नहीं होगातब तक सही से काम करना केवल ऊर्जा की बर्बादी के अलावा और कुछ भी नहीं है।

लीडरशिप करुणा से भरपूर होनी चाहिए, तभी सृजन श्रेष्ठ होगा।विनम्रता और वात्सल्यता लीडरशिप की शक्ति भी है और पहचान भी।यदि नाविक ही पतवार खेने की अपनी जिम्मेदारी से बचने की कोशिश करेगा तो फिर नाव पर सवार लोगों का भविष्य खतरे में पड़ने से कौन रोक सकेगा? लीडर डर दिखाकर नहीं बल्कि प्यार लुटा कर ही टीम में सबको जोड़े रख सकता है।टीम का हर सदस्य उसके परिवार का सदस्य है। परिवार के किसी भी सदस्य पर आई विपत्ति से भला  वह मुंह कैसे मोड़ सकता है?जब उनका दर्द उसे अपना लगेगा और कोशिश करेगा कि  इस दर्द से उन्हें बाहर निकाला जाए,तभी वह सही अर्थों में लीडर कहलाता है। लीक से हटकर सोचने की योग्यता ही अच्छे लीडर पैदा करती है।जब भी सिस्टम पर कॉपी पेस्ट की स्क्रिप्टिड सोच वाले लोग बैठे होंगे तो नतीजे भी स्क्रिप्टिड जैसे ही  मिलेंगे।

-डॉ. कमलाकान्त बहुगुणा



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