उत्तराखंड एक ऐसा पहाड़ी राज्य है जो अपने जन्म काल से ही राजनैतिक नेतृत्व की अस्थिरता का शिकार रहा (तिवारी सरकार को छोड़ कर ) है। प्रदेश में नेतृत्व हर बार थोपा जाना भी कहीं न कहीं लोक तांत्रिक मूल्यों की गिरावट का प्रकटीकरण है। यह रवैया वहां की जनता के विकास में प्रमुख अवरोधक है।
हर किसी ने मन में भावी मुख्यमंत्री के सपने संजोए हैं । वे हर क्षण उसे साकार करने के लिए लालायित हैं।
अगर राष्ट्रपति शासन की आड़ में नई सरकार का तानाबाना बुना गया तो यह मोदी व्यक्तित्व के लिए अवमूल्यन कारक होगा।
क्यों न राष्ट्रपति शासन के दौरान प्रदेश के लिए हितकारी नीतियों को अमलीजामा पहनाया जाया । राजनैतिक वैमनस्यता के स्थान पर प्रदेश के हर वर्ग के विकास को तवज्जो दी जाए। सरकार आती रहेंगी जाती रहेंगी पर विकास ऐसा पहलू है जिसका कोई विकल्प नहीं ।
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