सोमवार, 28 मार्च 2016

सुगौली संधि

भारत नेपाल के मध्य दो सौ पहले हुई थी  एक संधि।
जिसका नाम था सुगौली संधि।।
5 मार्च 1816 को की गयी थी यह संधि।

०5/०3/16  को सुगौली सन्धि को दो सौ वर्ष पूरे हुए ।जब भारत में इष्ट इंडिया कंपनी का राज कायम हुआ तब नेपाल के कुछ अति उत्साही सरदार दूर दूर तक के भारतीय इलाके जीतकर दिग्विजयी बनने का प्रयास करने लगे ।आज के उत्तराखंड और हिमाचल के कई इलाकों को उन्होंने जीत भी लिया था ।
उनकी इन हालात से तंग आकर ईष्ट इंडिया कंपनी ने  उनके मंसूबों को ताकत से दबाया  और सुगौली संधि के जरिये  एक साफ सीमा बनाने की कोशिश की।
1857  के स्वतंत्रता संग्राम  में सुगौली छावनी  के जवान  सबसे आगे निकल पड़े और गौरखाओं ने  विद्रोह को दबाने में अंग्रेजी फौज की मदद की। तब ईष्ट इंडिया कंपनी  (ब्रिटिश हुकूमत) ने तराई के चार जिले नेपाल को दिए।

राष्ट्रपति शासन की आड़ में

उत्तराखंड एक ऐसा पहाड़ी राज्य है जो अपने जन्म काल से ही   राजनैतिक नेतृत्व की अस्थिरता का शिकार रहा  (तिवारी सरकार को छोड़ कर ) है। प्रदेश में नेतृत्व हर बार थोपा जाना भी  कहीं न कहीं  लोक तांत्रिक मूल्यों की  गिरावट  का प्रकटीकरण  है। यह रवैया वहां की जनता के विकास में प्रमुख अवरोधक है।
हर किसी ने मन में भावी मुख्यमंत्री  के सपने  संजोए हैं । वे हर क्षण  उसे साकार करने के लिए लालायित हैं।
अगर राष्ट्रपति शासन की  आड़ में नई सरकार का तानाबाना बुना गया तो यह मोदी व्यक्तित्व के लिए अवमूल्यन कारक होगा।
क्यों न राष्ट्रपति शासन के दौरान प्रदेश के लिए हितकारी  नीतियों को अमलीजामा पहनाया जाया । राजनैतिक वैमनस्यता  के स्थान पर  प्रदेश के हर वर्ग के विकास को तवज्जो दी जाए। सरकार आती रहेंगी जाती रहेंगी पर विकास ऐसा पहलू है जिसका कोई विकल्प नहीं ।

सर्वा आशा मम मित्रं भवन्तु

स्मृति और कल्पना

  प्रायः अतीत की स्मृतियों में वृद्ध और भविष्य की कल्पनाओं में  युवा और  बालक खोए रहते हैं।वर्तमान ही वह महाकाल है जिसे स...